Hazaribagh : नये समाहरणालय स्थित डीएसई आफिस में बुधवार को दिनभर हाई वोल्टेज ड्रामा चलता रहा. जैसे ही गढ़वा से ट्रांसफर होकर चार्ज लेने के लिए नये डीएसई आकाश कुमार आये, पूर्व डीएसई संतोष गुप्ता उनका स्वागत करने की जगह सरकारी दफ्तर में ताला बंद करा कर यह कहते हुए निकल गए कि चार दिन बाद प्रभार देंगे. प्रभार लेकर योगदान देने हजारीबाग आये डीएसई आकाश कुमार ने सरकारी आदेश का हवाला देकर बुधवार को ही प्रभार सौंपने को कहा, लेकिन पूर्व डीएसई संतोष गुप्ता चलते बने. कोई चारा नहीं देख आकाश कुमार डीइओ प्रवीण रंजन के पास गये. फिर डीसी से मिलकर स्वत: प्रभार ग्रहण करने की अनुमति मांगी.
सरकार के ट्रांसफर लेटर में जिक्र है कि डीएसई काउंसिलिंग करेंगे
इस बीच, संतोष गुप्ता कोई रजिस्टर लेने आये और जैसे ही दफ्तर का ताला खुलवाया, नये डीएसई ने चार्ज एज्यूम कर लिया. फिर क्या था, पूर्व डीएसई को कुछ नहीं सूझा, तो वे शिक्षकों की काउंसिलिंग के लिए डीएसई आफिस में बेंच लगवाने लगे. सरकार के ट्रांसफर लेटर में जिक्र है कि डीएसई काउंसिलिंग करेंगे. ऐसे में अब काउंसिलिंग की जिम्मेवारी डीएसई की है. अन्यथा सरकार ने जिन शिक्षा पदाधिकारियों के तबादले का आदेश पत्र जारी किया है, उसमें काउंसिलिंग का जिक्र ही नहीं होता. इधर एज्युम चार्ज पर डीइओ ने हस्ताक्षर करने की बात कही है. ऐसे में पूर्व डीएसई संतोष गुप्ता को प्रभार लेने की मजबूरी है.
आखिर नये डीएसई को चार दिन बाद प्रभार क्यों देना चाह रहे थे संतोष गुप्ता,
डीएसई आकाश कुमार को आखिर संतोष गुप्ता प्रभार देना क्यों नहीं चाह रहे थे. इस मामले में झारखंड प्राथमिक शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष मो. अतिकुज्जमा ने कहा कि दूसरे जिले से आए शिक्षकों की पोस्टिंग के लिए लाखों रुपये की रकम को वसूली की गयी है. अब पूर्व डीएसई पशोपेश में हैं कि जिला स्थापना समिति की बैठक नहीं होने से उन शिक्षकों को क्या जवाब देंगे. ऐसे में शिक्षकों से वसूली गयी रकम लौटानी होगी. दरअसल किसी को जरा सा बी अनुमान नहीं था कि सरकार का फरमान जारी होते ही नये डीएसई प्रभार लेने आ जाएंगे. पूर्व डीएसई को संभलने का मौका ही नहीं मिला. इन चार दिनों में डीएसई आफिस में और क्या-क्या खेल होते, कहना मुश्किल है. क्या-क्या अनियमितताएं और सबूत मिटाए जाते या फिर शिक्षकों को रकम लौटाई जाती. वहीं अपने चहेते पदाधिकारियों, कर्मियों और शिक्षकों के भी भविष्य की राह तलाशते. बहरहाल चार्ज नहीं देने से स्वत: ही सारे कारनामों की पोल पलभर में उजागर बीती स्पष्ट परिलक्षित होती प्रतीत हुई.
आरडीडीई आफिस में भी हो चुकी है चार्ज एज्यूम करने की घटना
आज से करीब 20 साल पहले आरडीडीई आफिस में भी चार्ज एज्यूम करने की घटना है चुकी है. तब नगीना राम को लक्ष्मण सिंह चार्ज नहीं दे रहे थे. वर्ष 2003 में मजिस्ट्रेट की अगुवाई में दफ्तर का ताला तुड़वाकर नगीना राम ने स्वत: चार्ज लिया था.
पोस्टिंग के लिए रकम देनेवाले शिक्षक पशोपेश में, बुरे फंसे बिचौलिए
दूसरे जिले से ट्रांसफर होकर आए 93 में से वे सभी शिक्षक सकते में हैं, जिन्होंने बिचौलियों के माध्यम से मनचाही पोस्टिंग के लिए लाख-सवा लाख तक खर्च किए हैं. उनकी पोस्टिंग पूर्व डीएसई संतोष गुप्ता के माध्यम से होनी थी, लेकिन अब नये डीएसई के आ जाने से पुराने डीएसई के तुरूप का पत्ता बदल गया. ऐसे़ में शिक्षक यह पशोपेश में हैं कि इतनी राशि खर्च कर मनचाहे स्कूलों में पोस्टिंग मिलेगी या नहीं. वहीं बिचौलिए की भूमिका निभाने वाले कुछ बीइइओ, क्लर्क, कंप्यूटर आपरेटर, सरकारी व पारा शिक्षक सकते में हैं कि पूर्व डीएसई संतोष गुप्ता का पिंड तो छूट गया, शिक्षकों के कोपभाजन का शिकार तो अब बिचौलिए ही बनेंगे.
चूंकि स्थापना में पूर्व डीएसई की सूची बदलनी तय है. दरअसल, इस वसूली मामले की शिकायत डीएसई से लेकर शिक्षा सचिव व मुख्यमंत्री तक हो चुकी है. कयास यह भी लगाए जा रहे हैं कि इसी वजह से शनिवार को जिला शिक्षा स्थापना समिति की बैठक टाल दी गयी और पूरे कार्यकाल में सर्वाधिक विवादित रहने वाले पूर्व डीएसई संतोष गुप्ता अपनी ही कारस्तानी के चक्रव्यूह में फंस गये.