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यदि तत्काल वार्ता के लिए आमंत्रित नही करेगी तो होगा आंदोलन- ऋषिकांत तिवारी
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पलामू/मेदिनीनगर: राज्य की जेएमएम नित हेमन्त सरकार पूरी तरह से सहायक अध्यापकों को छलने का कार्य किया है। हेमन्त सरकार चुनाव पूर्व जो 3 माह में वेतनमान देने की घोषणा की वह 5 वर्षों में भी पूरा नहीं कर सकी, सिर्फ चुनावी घोषणा बन कर रह गई वेतनमान का वादा। इससे सहायक अध्यापकों में से घोर निराशा के साथ आक्रोश है। जिस सरकार को बनाने में पारा शिक्षकों ने अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई अंततः इस सरकार से भी निराशा ही हाथ लगी। 5 सालों तक सरकार सिर्फ आश्वासन और वार्ता -वार्ता का खेल खेल रही है, यदि तत्काल वार्ता के लिए झारखण्ड राज्य सफल सह प्रशिक्षित सहायक अध्यापक संघ को आमंत्रित नही करती है तो आंदोलन के लिए बाध्य होंगे। उक्त बातें संघ के प्रदेश अध्यक्ष ऋषिकांत तिवारी ने कही। श्री तिवारी ने यह भी कहा कि सहायक अध्यापक सेवासर्त नियमावली- 2021 में वर्णित अनुकम्पा, इपीएफ को भी आज तक सरकार लागू नहीं कर पाई। दिन प्रतिदिन हमारे एक-एक सहायक अध्यापक बिना किसी सरकारी सुविधा लाभ के रिटायर एवं मृत हो रहे हैं। उनका परिवार बेसहारा और बेघर हो चूका है।
परन्तु सरकार चुप्पी साधी हुई है। जो सरकार अपनी हर चुनावी सभा में पारा शिक्षकों को 3 माह मे वेतनमान देने की बात करती थी,अब वह उस वादे से पूरी तरह मुकर गयी है। कहती है कि पारा शिक्षकों को वेतनमान नहीं दिया जा सकता है। निश्चित तौर पर इस वादा खिलाफी का जवाब आगामी विधानसभा चुनाव में 62 हजार सहायक अध्यापको के द्वारा दिया जायेगा। आज तक किसी सरकार ने पारा शिक्षकों का पैसा काटने का कार्य नहीं किया था। परंतु हेमन्त सरकार ने सहायक अध्यापकों का मानदेय की कटौती कर इतिहास बना दिया। 28 अगस्त को "झारखंड राज्य आकलन सफल सह प्रशिक्षित सहायक अध्यापक संघ " के द्वारा राज भवन पर एक दिवसीय धरना दिया गया एवं 5 सितंबर शिक्षक दिवस के दिन शिक्षा मंत्री आवास पर एक दिवसीय भूख हड़ताल कार्यक्रम किया गया। परंतु इन कार्यक्रमों के उपरांत भी सरकार और शिक्षा मंत्री के द्वारा एक बार भी सहायक अध्यापकों की समस्याओं पर विचार नही किया गया। उन्होंने यह भी कहा कि शिक्षक दिवस के दिन जिस राज्य के शिक्षक भूखे हो वहां के शासक कितना निरंकुश है वह चिंतन करने विषय है। जहां एक ओर सरकार संवेदनशील होने का डिंग हांकते फिरती है वहीं दूसरी और सहायक अध्यापकों से दुरी बनाती है। इससे सहायक अध्यापक अपने आप को ठगा महसूस कर रहे हैं। इसका जवाब निश्चित तौर पर सहायक अध्यापक आगामी विधानसभा चुनाव में सरकार को देंगे और उखाड़ फेंकने का काम करेंगे।