टीपीसी ने इस घटना की उच्च-स्तरीय जांच की मांग की है. साथ ही गोलीबारी की जानकारी और पोस्टमार्टम रिपोर्ट की भी फिर से जांच करने की बात कही है. उनका मानना है कि इससे सच्चाई सामने आ जाएगी और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोका जा सकेगा.
मुठभेड़ के दौरान उनके साथी शशिकांत घटनास्थल से बहुत दूर थे
संगठन ने यह भी दावा किया है कि मुठभेड़ के दौरान उनके साथी शशिकांत घटनास्थल से बहुत दूर थे. जबकि जवान को 20 फीट की दूरी से गोली लगी है. वह भी 9 गोलियां मारी गई. बयान के मुताबिक शशिकांत के घर को सुबह 4.00 बजे से रात के 12 बजे तक झारखंड जगुआर के जवान घेर कर बैठी थी और रात में जिला पुलिस के जवान पहुंचते हैं, तब घटना हो जाती है. इन्हीं तर्कों के साथ टीपीसी ने इस घटना को एक साजिश बताते हुए कहा है कि इसमें पलामू के आईजी, एसपी और डीएसपी जैसे वरिष्ठ अधिकारियों की मिलीभगत हो सकती है.
टीपीसी ने अभियान में शामिल सभी पुलिसकर्मियों से अपील की है कि वे संतन मेहता और सुनील राम के हत्यारों को बेनकाब करें. विज्ञप्ति में बताया गया है कि टीपीसी की लड़ाई झारखंड के आदिवासियों, गैर-आदिवासियों या पुलिस से नहीं है. उनका संघर्ष महंगाई, बेरोजगारी, भुखमरी, जमींदारी और भ्रष्ट पूंजीवादी व्यवस्था के खिलाफ है.