दरअसल, रविवार की शाम सोरठ गांव में कुछ चरवाहे जंगल में गए थे. इसी दौरान उन्हें कुछ दुर्गंध महसूस हुई. उन्होंने इधर-उधर देखा तो पास में ही एक कुआं दिखा, जिसमें से दुर्गंध आ रही थी. जब वे कुएं के पास गए तो देखा कि अंदर पानी पर बंदरों के शव पड़े थे. सभी बंदरों की मौत कब हुई, इसकी जानकारी किसी ग्रामीण को नहीं है.
स्थानीय ग्रामीणों के अनुसार यह घटना बुधवार या गुरुवार की है. बंदरों की मौत के बाद वन विभाग के कर्मियों को मौके पर भेज दिया गया है. मामले की जांच की जा रही है.
"विभाग के कर्मियों को मौके पर भेज दिया गया है और जांच की जा रही है. बंदरों के शवों का पोस्टमार्टम कराया जाएगा." - कुमार आशीष, पलामू डीएफओ
"यह घटना दुखद है. आशंका है कि सभी की मौत पानी के लिए हुई है." - लवली गुप्ता, पूर्व जिला परिषद सदस्य
एक्सपर्ट का कहना है कि सभी बंदर एक साथ कुएं में नहीं कूदे होंगे. वे सभी प्यास बुझाने के लिए एक-एक करके कुएं में कूदे और मर गए.
"बंदर प्यास बुझाने के लिए एक-एक करके कुएं में कूदे होंगे और एक-दूसरे को बचाने के प्रयास में सभी की मौत हो गई. घटना बेहद दुखद है. यह पेड़ों को काटने का नतीजा है." - प्रोफेसर जीएस श्रीवास्तव, वाइल्डलाइफ एक्सपर्ट
इलाके में है जल संकट
स्थानीय ग्रामीणों के अनुसार गांव से कुछ दूरी पर डैम है लेकिन उस डैम में पानी नहीं है. इलाके में पानी का संकट भी है. जिस कुएं में बंदरों की मौत हुई है, उसमें लोहे की छोटी-छोटी छड़ें लगी हुई हैं ताकि कुएं की सफाई की जा सके. बंदर कुएं से बाहर नहीं निकल पाए, जिस कारण सभी की मौत हो गई.